एपेक्स काउंसिल में यूपी के ज्ञानेन्द्र पांडे शामिल होंगे!
वर्मा-शुक्ला-यूपी लॉबी बनाम टीम पहाड़ी में घमासान
CEO माथुर और बाकी नियुक्तियों पर महाभारत तय
Chetan Gurung
उत्तराखंड क्रिकेट को लगता है यूपी लॉबी की सरपरस्ती में जीने की कुछ ओहदेदारों की चाह तबाही की ओर ले जा रही है। पहली सालगिरह भी नहीं हुई है और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड अपनी नाकामियों, बदनामियों और जबर्दस्त घमासान के साथ ही अनियमितताओं के आरोपों के घेरे में है। यूपी के ज्ञानेन्द्र पांडे को भी एपेक्स काउंसिल में शामिल करने की कोशिशों ने माहौल फिर गरम कर दिया है। एसोसिएशन इन दिनों वर्मा-शुक्ला-यूपी लॉबी बनाम पहाड़ी के मध्य समर के चलते सुर्खियों में है।

एसोसिएशन में यूपी लॉबी जिसके अगुआ केन्द्रीय मंत्री रहे राजीव शुक्ला हैं, का जबर्दस्त बोलबाला है। खुद सुप्रीम कोर्ट की विनोद राय वाली समिति ने इसको अपनी रिपोर्ट में उद्धृत किया था। सचिव माहिम वर्मा लॉबी, जिनके साथ उनके पिता पीसी वर्मा के संगी-साथियों का समर्थन है, पर यूपी का पूरा संरक्षण माना जाता है। शुक्ला भले उत्तराखंड को BCCI की मान्यता दिलाने में रत्ती भर सफल नहीं हुए थे, लेकिन मान्यता मिलने के बाद वह घुड़सवार की हैसियत में रहना चाहते हैं। उत्तराखंड को वह अपने और यूपी के उपनिवेश के तौर पर चलाने की मंशा रखते दिखे हैं।
ताजा मामला फिलहाल तो CEO अमृत माथुर समेत प्रशिक्षकों-चयनकर्ताओं और मैनेजरों की तनख्वाह जारी करने को ले कर गरम है। खजांची पृथ्वी सिंह नेगी ने साफ कर दिया है कि वह उनके ही वेतन को जारी करने की मंजूरी देंगे, जिनकी नियुक्ति या ज़िम्मेदारी संबंधी दस्तावेज़ संतोषजनक होंगे। उनका दावा है कि माथुर की नियुक्ति किसने की, उनकी जानकारी में नहीं है। दिसंबर 2019 में उनका करार खत्म हो गया था। उसके बाद उनका करार किसने आगे बढ़ाया? उसकी फ़ाइल कहाँ है? वह किस हैसियत से काम कर रहे हैं? ये कुछ भी पता नहीं चल रहा है।
पृथ्वी से जब `Newsspace’ ने पूछा तो उन्होंने कहा, `मैं सिर्फ दस्तावेजों से वास्ता रखता हूँ। दस्तावेज़ सही होंगे तो वेतन जारी होगा। साथ ही एकाउंटेंट, जीएम, सीईओ और ऑडिटर के दस्तखत जरूर देखुंगा। जो लोग Conflict of interest के दायरे में हैं, उनके बारे में भी विचार किया जाएगा’। अर्जुन नेगी, कुमार थापा, नूर आलम और आईके पांडे हितों के टकराव के मामलों में घिरे हुए हैं। वे एसोसिएशन में भी हैं और उन जिम्मेदारियों को भी संभाल रहे हैं, जिनमें वेतन-भत्ते भी मिल रहे हैं।
नेगी ने कहा कि वह तनख्वाह जारी करेंगे भी तो इस शर्त के साथ कि अगर उनका मामला हितों के टकराव का साबित हुआ तो उनसे रिकवरी का अधिकार CaU को होगा। जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और वहाँ के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला भी रिकवरी के मामले में घिरे हुए हैं। इस तरह के मामलों को लोकायुक्त देखते हैं। शिकायत पर। 9 महीने हो चुके हैं लेकिन अभी तक लोकायुक्त नियुक्त करने को CaU रुचि नहीं दिखा रही। आचरण अधिकारी (एथिक्स अफसर) भी नियुक्त नहीं किया जा रहा है।
एपेक्स काउंसिल सर्वोच्च ईकाई है, लेकिन हवा उड़ रही है कि कभी भारत के लिए एक वन डे मैच खेले यूपी के ज्ञानेन्द्र को इसमें फिट करने की योजना पूरी हो चुकी है। ज्ञानेन्द्र को ले के एपेक्स काउंसिल के पृथ्वी, उपाध्यक्ष संजय रावत तथा संयुक्त सचिव अवनीश वर्मा विरोध की पूरी तैयारी में हैं। काउंसिल में किसी को भी रखने का हक बीसीसीआई तक को नहीं है। ये हम खुद तय करेंगे। इन तीनों में से एक ने कहा। उनके अनुसार अब वे यूपी और विशेष लॉबी को मनमानी और उत्तराखंड क्रिकेट को तबाह-बदनाम होने नहीं देंगे।
इस लॉबी को अब एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और एनडी तिवारी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हीरा सिंह बिष्ट का पूरा समर्थन बताया जाता है। एसोसिएशन के अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला हैं। एपेक्स काउंसिल में उनको वोट डालने का हक सीधा नहीं है। वे तभी तस्वीर में आते हैं जब कास्टिंग वोट पड़ना हो। यानि, किसी मुद्दे पर बराबर वोट पद जाए। तब उनको निर्णायक वोट डालना होता है। एपेक्स काउंसिल में जो नामित दो सदस्य हैं, उनको वोट डालने का अधिकार नहीं है।