माहिम-जोत सिंह पर तमाम गंभीर आरोप
आरोप-बाहरी लोगों के दबाव में काम कर रहा CAU
संविधान का पालन नहीं:वित्तीय नियम ध्वस्त
GM के बाद नाराज CEO अमृत माथुर का भी इस्तीफा
Chetan Gurung
उत्तराखंड क्रिकेट में फिर भूचाल आ गया है। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के कोषाध्यक्ष पृथ्वी सिंह नेगी की चिट्ठियों के लीक हो जाने से सचिव माहिम वर्मा के साथ ही अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला भी गंभीर आरोपों के घेरे में फंस गए हैं। इस बीच CEO अमृत माथुर ने मौजूदा हालात और निजी कारणों को जिम्मेदार बताते हुए इस्तीफा दे के सभी को सकते में डाल दिया।


ये विरला ही होता है कि किसी अहम और बड़ी संस्था के कोषाध्यक्ष ही अपने यहाँ भ्रष्टाचार और धांधलियों के खिलाफ मुहिम छेड़े। पृथ्वी ने अध्यक्ष को चिट्ठी लिख के कई अहम सवाल उठाए हैं तो कई आरोप भी अध्यक्ष-सचिव पर दागे हैं। उन्होंने कहा कि बाहरी लोगों के दबाव में कुछ चुने हुए ओहदेदारों के मान-समान से खेला जा रहा है। उनको अनुचित और असंवैधानिक कार्य करने के लिए दबाव में लाया जा रहा है।

कोषाध्यक्ष ने साफ कहा है कि इस तरह के फैसलों से वह अपनी ज़िम्मेदारी पूरी तरह वापिस लेते हैं। 14 जून को Apex काउंसिल की बैठक का एजेंडा सचिव ने ही लीक कर दिया। इस पर आपत्तियों के बावजूद बैठक स्थगित न कर तय तारीख में ही करा दी गई। छह निर्वाचित में से 3 निर्वाचित ओहदेदारों उपाध्यक्ष-संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष ने एजेंडा लीक होने का लिखित विरोध जताया था।

सचिव पर आरोप लगाते हुए चिट्ठी में लिखा गया है कि माहिम 8 मार्च 2020 को फिर से एसोसिएशन के सचिव चुने गए। उसी दिन कामकाज भी शुरू कर दिया। उस वक्त वह बोर्ड में भ उपाध्यक्ष थे। BCCI-CAU के संविधान के मुताबिक एक व्यक्ति बोर्ड और एसोसिएशन में एक साथ रह ही नहीं सकता है। संयुक्त सचिव होने के बावजूद माहिम ने अहम पदों पर नियुक्तियाँ की। BCCI में ऐसी मिसाल सिर्फ उस वक्त सामने आई जब सुप्रीम कोर्ट ने संबन्धित पदों पर कोई न होने की सूरत में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत आदेश दिए थे। CAU और माहिम-गुनसोला सुप्रीम कोर्ट की भी अवमानना कर रहे हैं।

पृथ्वी ने एपेक्स काउंसिल पर भी मनमाने ढंग से फैसले करने के आरोप लगाए। 14 जून को इसी साल हुई काउंसिल की बैठक में 11 और 12 फरवरी को हुई काउंसिल की बैठक के निर्णयों की पुष्टि ही नहीं कराई गई। चिट्ठी के मुताबिक एपेक्स काउंसिल ने वे अधिकार भी खुद ले लिए जो General House के पास है। काउंसिल ने सचिव को समस्त अधिकार दे दिए। अभी ये साफ ही नहीं हुआ है कि माहिम आखिर है कहाँ? बोर्ड में या एसोसिएशन में। वह यहाँ कार्य कर सकते भी या नहीं?

नेगी के अनुसार General House का फैसला पूरी तरह असंवैधानिक है। काउंसिल की बैठक में सचिव की तरफ से की गई नियुक्तियों को भी सही ठहरा दी गई, जो पूरी तरह गलत है। सूत्रों के मुताबिक कोषाध्यक्ष ने ये चिट्ठी मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज़ के साथ ही BCCI को भी भी भेजी है। CAU में बवाल इस बात पर भी है कि माहिम ने सचिव होने के बावजूद नियुक्तियाँ कैसे कर दीं, जबकि ये अधिकार एड्वाजरी कमेटी या फिर CEO अमृत माथुर के पास थे।

GM के बाद अब CEO माथुर ने भी इस्तीफा दे के संकेत दे दिए कि आखिर उत्तराखंड क्रिकेट और CAU में चल क्या रहा है। माथुर ने 6 लाख रुपए मासिक तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ते समय इस्तीफे में लिखा है-हालिया घटनाओं और निजी कारणों से वह इस्तीफा दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक उनको इस बात पर नाराजगी थी कि उनके अधिकार क्षेत्र में माहिम नाजायज ढंग से दखल दे रहे थे। वह महज कठपुतली बन के रह गए थे। माथुर न सिर्फ पूर्व आईआरटीएस अफसर हैं बल्कि भारतीय क्रिकेट में उनका बतौर प्रबन्धक सम्मानजनक नाम था।
उत्तराखंड में उनको काफी छिछालेदार का सामना करना पड़ रहा था। वासिम जाफ़र को मुख्य प्रशिक्षक नियुक्त करने में भी उनकी भूमिका नहीं रही, जबकि नियुक्ति का अधिकार सिर्फ एड्वाइजरी कमेटी को है। जाफ़र की नियुक्ति के दौरान कमेटी का गठन भी नहीं हुआ था। ये नियुक्ति माहिम ने खुद ही कर डाली थी। उसी तरह जिस तरह उन्होंने पिछले सीजन में पेशेवर खिलाड़ियों को खुद ही चुन लिया था। उत्तराखंड ने बदतरीन प्रदर्शन कर रणजी ट्रॉफी में पिछले सीजन जम के भद पिटवाई थी।
दो बड़े ओहदेदारों ने कोरोना महामारी के दौर में इतनी बड़ी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ के साफ कर दिया कि CAU नौकरी करने के लिए सुरक्षित नहीं है। तमाम गंभीर विवादों और घोटालों की गंध में डूबे एसोसिएशन पर बैंक और रजिस्ट्रार सोसायटीज़ ऑफिस को भी गुमराह करने के आरोप हैं। खुद एसोसिएशन के ओहदेदारों को इस बात पर एतराज है कि जब कोरोना के कारण दिसंबर तक घरेलू क्रिकेट खुद बीसीसीआई ने बंद की हुई है तो फिर अध्यक्ष-सचिव को मोटी तनख्वाह पर तमाम नियुक्तियाँ करने की गरज आखिर क्यों पड़ रही है?