न मैंने मौलवी बुलाए न धर्म देख के टीम खिलाई:मजहबी होता तो `अल्लाहो-अकबर’ का नारा लगवाता
मुझसे पूछ के न टीम बनती थी न ही कोई मुझसे बात करता था:मैं जय बिस्टा को कप्तान चाहता था:इकबाल को नहीं
Chetan Gurung

उत्तराखंड क्रिकेट टीम के Chief Coach से इस्तीफा देने के बाद उठे बवंडर पर भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वासिम जाफ़र ने आज Zoom Press Conference में कई सनसनीखेज-अहम खुलासे और किए। उन्होंने Cricket Association of Uttarakhand के सचिव माहिम वर्मा पर टीम चयन में जबर्दस्ती दखल देने का आरोप लगाया। उन्होंने कुबूल किया कि टीम चयन से जुड़ी एक बैठक में उन्होंने सचिव को बुरी तरह झिड़क कर तब खामोश कर दिया था, जब वह Red-White बॉल के विशेषज्ञ खिलाड़ियों का नाम ले के उनको रखने की बात कर रहे थे। Zoom प्रेस कॉन्फ्रेंस में वासिम ने `Newsspace’ को भी खुद ही Invite किया।
जाफ़र ने माहिम के इन आरोपों का जवाब तफसील से दिया कि वह टीम में मुस्लिम खिलाड़ियों को अधिक तवज्जो देते थे। अभ्यास मैचों के दौरान मौलवी मैदान पर आया करते थे। उन्होंने कहा, `मुस्लिम खिलाड़ियों को तवज्जो देनी होती तो वह जय बिस्टा की जगह इकबाल अब्दुल्ला को कप्तान बनाने की पैरवी न करते। अब्दुल्ला को कप्तान बनाने के पीछे Chief Selector रिजवान शमशाद और अन्य का फैसला था। उन्होंने अपनी वह टीम भी मोबाइल पर दिखाई जो प्रस्तावित की थी। उसमें जय कप्तान और अब्दुल्ला उप कप्तान थे।
पूर्व भारतीय बल्लेबाज ने कहा, `मुझ पर माहिम ने मजहबी और मैदान पर मौलवी बुलाने-वहीं नमाज पढ़ने के आरोप लगाए। इसमें कोई सत्यता नहीं है। नमाज के लिए हफ्ते में सिर्फ जुम्मे के दिन मौलवी 2-3 बार बुलाया गया था। वह भी मैंने नहीं। अब्दुल्ला का कोई जानकार था। नमाज भी अभ्यास खत्म होने के बाद सिर्फ 5 मिनट की होती थी। कोई मैच रुकवा के नमाज नहीं पढ़ी जाती थी। माहिम के ये आरोप एकदम झूठे हैं कि मैंने टीम के विजय घोष `राम भक्त हनुमान की जय’ को बदल दिया था। लड़के तो `रानी माता के सच्चे दरबार की जय’ जैसा कुछ उद्घोष करते थे। मैंने कहा कि टीम में सभी धर्म के खिलाड़ी हैं। इसलिए जय उत्तराखंड या Go Uttarakhand Go जैसा नारा होना चाहिए। मुझे अपने धर्म को बढ़ावा देना होता तो `अल्लाहो-अकबर’ का नारा देता।
CaU में आम तौर पर सचिव-Chief Selector रिजवान शमशाद मुझसे न तो बात करते थे, न ही मेरा फोन उठाते थे। वे टीम चयन में मेरी राय तक नहीं लेते थे। जो टीम मैं लिखित में सुझाता था उसको तकरीबन आधा बदल देते थे। एक बार तो कप्तान समेत 10 खिलाड़ी मेरी राय लिए बिना बदल दिए। बेशक टीम चयन का काम चयनकर्ताओं का है पर Chief Coach की राय तो ली ही जानी चाहिए। इसके बावजूद T-20 में उत्तराखंड का प्रदर्शन बहुत खराब नहीं रहा। मैं बतौर कप्तान स्थानीय खिलाड़ी दीक्षांशु नेगी को चाहता था। मेरा मानना है कि पेशेवर खिलाड़ी आते हैं चले जाते हैं। स्थानीय खिलाड़ियों को निखारा जाना चाहिए। जैसे आरोप मुझ पर माहिम ने लगाए, उससे मुझे बहुत दुख पहुंचा है। मुझे शर्म महसूस हो रही कि देश का प्रतिनिधित्व करने और शीर्ष स्तर पर क्रिकेट खेलने के बाद इस किस्म के घटिया आरोप सुनने पड़ रहे हैं।
वासिम ने कहा, `उत्तराखंड टीम को निखारने के लिए मुझे कुछ वक्त दिया जाना चाहिए था। छूट दी जानी चाहिए थी। ऐसा नहीं होता कि बीज डाला और उसी दिन पेड़ उग आए। CaU को थोड़ा धैर्य दिखाना चाहिए था। फिर भी मैं टीम के हर अच्छे-बुरे प्रदर्शन का जिम्मा लेता हूँ’। इस आरोप को भी उन्होंने खारिज किया कि अब्दुल्ला को आगे लाने के लिए कुणाल चंदीला को बल्लेबाजी क्रम में पीछे खिलाया। मुस्लिम पेशेवरों को साथ लाया। उत्तराखंड के साथ करार करने के बाद IPL में किंग्स-11 पंजाब के लिए दुबई चले जाने के बाबत उन्होंने कहा, `CaU से करार से पहले ही मैंने Kings-11 पंजाब से हुए करार के बारे में बता दिया था’।
पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज ने कहा कि माहिम टीम चयन में बहुत दखल देते थे। एक बार टीम के चयन के दौरान मैं, CEO-रिजवान और माहिम मौजूद थे। माहिम कहने लगे कि फलां खिलाड़ी white बॉल का और फलां Red बॉल का बहुत अच्छा खिलाड़ी है। इस पर मैंने उनको फटकार दिया था कि आप जब क्रिकेट नहीं खेले हो तो मत बोलिए। आपको क्या पता। इस पर वह काफी अपसेट हो गए थे। हालांकि मैं मानता हूँ कि मुझे इतना ज्यादा नहीं कहना चाहिए था। माहिम का टीम चयन में दखल वैसा ही है, जैसे मैं प्रशासनिक मामलों में दखल देने लग जाऊँ, जिसका मुझे कोई अंदाज नहीं है। मुझ पर मनमानी के आरोप एकदम निराधार है। मैं कोई हिटलर थोड़ी हूँ जो अपनी चलाता।
उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि टीम के प्रदर्शन के बारे में Chief Selector भी न तो दिलचस्पी दिखाते थे न ही कोई पूछताछ ही करते थे। खिलाड़ियों को कभी विश भी नहीं करते थे। जाफ़र ने पूछे जाने पर कहा कि उनकी CaU अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला से कभी भी टीम के चयन या प्रदर्शन के बारे में बात नहीं हुई। एसोसिएशन के ओहदेदार जब मुझसे बात ही नहीं करते थे तो मैंने भी व्हाट्स एप ग्रुप में जरूरी सूचना डालना शुरू किया। इस पर भी माहिम ने एतराज किया कि ये CaU के खिलाफ जा रहा है।