बीजेपी राज में आला कमान का इतना अधिक विश्वास किसी सीएम को कभी नहीं मिला
पीएम मोदी समेत तमाम दिग्गज मंत्रियों-नड्डा से मुख्यमंत्री की मुलाकात
Chetan Gurung
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को दिल्ली के 3 दिनी दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही पार्टी के मुख्य रणनीतिकर अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत तमाम दिग्गज मंत्रियों से मिली तवज्जो ने उनके आलोचकों-विरोधियों को हिला डाला है। मुलाक़ात कर एक साथ कई संदेश दिए। दौरे की शानदार कामयाबी ने त्रिवेन्द्र को मोदी-शाह के बेहद विश्वासपात्र के तौर पर और पुख्ता ढंग से स्थापित कर दिया।
ऐसा कम ही होता है कि मुख्यमंत्री को अपनी ही पार्टी की सरकार के बावजूद केंद्र में इतने अधिक और अहम मंत्रालय संभाल रहे मंत्रियों-पीएम और शाह-नड्डा सरीखी शख़्सियतों से एक ही दौरे में अपनी बातें रखने का मौका मिल जाए। मोदी बेहद व्यस्त और थके होने के बावजूद त्रिवेन्द्र से आज शाम मिले। दोनों में काफी बातचीत हुई। खास तौर पर चमोली आपदा और राहत-बचाव कार्यों की प्रगति के बारे में प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री ने विस्तार से जानकारी दी।
मोदी का वक्त देना अपने आप में बड़ी बात है। शुरू से ही त्रिवेन्द्र को उनके करीबियों में शुमार किया जाता है। इस बार की मोदी संग उनकी बैठक ने साफ कर दिया कि मोदी के भरोसे में उनको ले के कोई कमी नहीं आई है। हकीकत ये है कि इसमें इजाफा ही दिख रहा है। शाह-नड्डा ही नहीं बल्कि अन्य मंत्रियों राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, गजेंद्र सिंह शेखावत, रविशंकर प्रसाद से भी उनको न सिर्फ वक्त मिला बल्कि वे सभी उत्तराखंड की जरूरत के मुताबिक हर किस्म की मदद करने को राजी हो गए। जो हाथों हाथ हो सकता था, वह मांग पूरी कर भी दी।
इससे पहले उत्तराखंड में इस किस्म का रुतबा या आला कमान का विश्वास इस तरह जीतने का कमाल बीजेपी सरकारों में किसी भी सीएम ने नहीं दिखाया। त्रिवेन्द्र ने पीएम समेत इतने लोगों से एक साथ मुलाक़ात करने की कामयाबी तब पाई जब उनको ले के विरोधी दल वाचाल हो रहे हैं। पार्टी के भीतर विरोधी सक्रिय बताए जा रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि अब पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री के खिलाफ जो भी थोड़ा बहुत उफान है, वह शांत हो के बैठ जाएगा।
कोरोना से सपरिवार जंग जीतने के फौरन बाद से ही बदले हुए त्रिवेन्द्र नजर आने लगे हैं। वह बहुत सक्रिय और ताबड़-तोड़ फैसले कर रहे। लोक लुभावन कदम उठाने में बिलकुल हिचक नहीं रहे हैं। दिल्ली दौरे में त्रिवेन्द्र को दी गई तवज्जो से आलाकमान ने ये संदेश साफ तौर पर दे दिया है कि उनकी सरपरस्ती चुनाव तक जारी रहेगी। उनके साथ मिल के, उनको विश्वास में ले के और उनकी राय से सभी को चलना होगा। मतलब ये कि त्रिवेन्द्र की तिरछी भवें अब किसी के लिए भी घातक साबित हो सकती हैं।