कोर कमेटी की बैठक के बाद बोले BJP प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर, `न CM बदलने न मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा’
बजट सत्र जल्दी खत्म करने-Observer रमन के अचानक धमकने से कयासों को बल
CM बदलने के फैसले दून नहीं दिल्ली में तय होते रहे हैं:त्रिवेन्द्र-पर्यवेक्षक-प्रभारी ने साथ चाय पी
Chetan Gurung

उत्तराखंड BJP की सियासत में आज सुबह से ले के पूरे दिन जबर्दस्त उबाल का आलम रहा। CM त्रिवेन्द्र सिंह रावत को बदलने की गरम हवा दिन भर चली। सियासत और मीडिया जगत में दिन भर नए CM के नाम भी उछलने लगे थे। शाम को कोर कमेटी की बैठक के बाद BJP प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने पत्रकारों से कहा, `कोई CM नहीं बदला जा रहा। न इस मुद्दे पर कोई चर्चा ही हुई। सिर्फ 18 मार्च को त्रिवेन्द्र सरकार के 4 साल पूरे होने के कार्यक्रमों पर मंथन हुआ’।

भगत ने पूछे जाने पर कहा कि CM बदलने को ले के हवा सिर्फ TV पर थी। कोर कमेटी की बैठक में इस पर चर्चा तक नहीं हुई। न ही मंत्रिमंडल विस्तार पर ही कोई बात हुई। सरकार के 4 साल बेमिसाल को ले के ही बैठक थी। बीजापुर गेस्ट हाउस से सटे Safe House में हुई बैठक में पर्यवेक्षक बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह, पार्टी के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम के अचानक पहुँचने और विधानसभा का बजट सत्र आज ही अचानक 4 दिन पहले खत्म कर दिए जाने के कारण राजधानी और उत्तराखंड का सियासी ज्वालामुखी जबर्दस्त ढंग से फूटता दिखाई दे रहा था।
Safe House के बाहर पत्रकारों की भीड़ लग गई थी। पूरे प्रदेश में सिर्फ CM बदलने को ले के ही चर्चा हो रही थी। सभी TV चैनल्स और News Portals दावा कर रहे थे कि त्रिवेन्द्र को हटाने का फैसला हो चुका है। सिर्फ उनकी जगह किसको बिठाया जाए, इस पर फैसला होना है। इसमें अनिल बलूनी-अजय भट्ट, सुरेश भट्ट, सतपाल महाराज और खुद बंशीधर भगत के साथ महाराष्ट्र-गोआ के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के नाम भी लिए जा रहे थे। कोर कमेटी की बैठक में त्रिवेन्द्र और भगत के साथ ही सांसद माला राज्यलक्ष्मी-तीरथ सिंह रावत-अजय भट्ट, नरेश बंसल भी शामिल हुए।

बैठक से सबसे पहले मुख्यमंत्री ही निकले और अपने आवास चले गए। उनके साथ मेयर सुनील उनियाल गामा ही गाड़ी में थे। फिर टिहरी सांसद और बंसल बारी-बारी से निकल के चले गए। बंसल ने जाते-जाते पत्रकारों से कह दिया कि CM बदलने पर को विचार तक नहीं हुआ। बैठक में केन्द्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और बलूनी को भी पहुँचना था। दोनों नहीं पहुंचे। भगत और सरकार के प्रवक्ता तथा मंत्री मदन कौशिक ने पत्रकारों से विधिवत बातचीत की। दोनों ने त्रिवेन्द्र को हटाने की किसी भी संभावना को खारिज किया। साथ ही बैठक में विचार तक होने से इनकार किया।
भगत ने पूछे जाने पर कहा कि मीडिया कुछ भी सोच लेती है। पर्यवेक्षक राज्य में आते रहते हैं। इसका जवाब कोई भी नहीं दे पाया कि आखिर बजट सत्र को आनन-फानन खत्म करने और पर्यवेक्षक के अचानक देहरादून आने की क्या मजबूरी थी। ये दो बिन्दु ऐसे थे, जिसके कारण दिन भर सियासी और खास तौर पर बीजेपी के गलियारों में अफरा-तफरी का आलम था। शाम को इस सियासी गुब्बारे ने बहुत ज्यादा फूल जाने के कारण फट के दम तोड़ दिया। त्रिवेन्द्र-रमन और गौतम बैठक के बाद CM आवास पर बैठे। साथ चाय पी। रमन ने अलबत्ता, सांसदों से अलग-अलग राय ली। पूर्व CM विजय बहुगुणा देर से पहुंचे।
सियासी जानकारों के मुताबिक मुख्यमंत्री बदलने के फैसले राज्य की कमेटी में नहीं हुआ करते हैं। ऐसे फैसले दिल्ली में PM नरेंद्र मोदी-अमित शाह-पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संघ के एकाध अहम पदाधिकारी लेते हैं। वे राय शुमारी नहीं करते हैं। सीधे फैसला कर के बता दिया करते हैं। ऐसे में त्रिवेन्द्र को हटाने का फैसला राज्य की कोर कमेटी में होगा, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। कोर कमेटी में अन्य अहम विषयों पर ही विचार-विमर्श किया जाता है।
बीसी खंडूड़ी को हटाते समय और फिर उनकी जगह लाए गए निशंक को CM से हटाते समय हाई कमान ने कोई राय नहीं ली थी। मोदी-शाह सरीखे शक्तिशाली आला कमान भला क्यों राय लेंगे। ये राय तो बन रही है कि त्रिवेन्द्र को ले के कुछ तो मामला था। हालात इसका ईशारा करते हैं, लेकिन हटाने जैसा बड़ा फैसला नहीं रहा होगा। त्रिवेन्द्र की शारीरिक भाव भंगिमा में भी आत्म विश्वास झलक रहा था। उन्होंने रमन से पार्टी के विधायकों की मुलाक़ात भी अपने आवास पर कराई।