Getting your Trinity Audio player ready...
|
उद्यान विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शुरू करने के बाद आज कुछ कर्मियो में पूछताछ शुरू कर दी है। सूत्रों की माने तो आज सुबह से ही सीबीआई की ये कारवाई शुरू हुई है।
अल्मोड़ा निवासी दीपक करगेती, गोपाल उप्रेती व अन्य ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया था, इसके बाद उच्च न्यायालय, नैनीताल की ओर से 27 अक्टूबर को घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश पारित किए गए। सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि जांच शुरू कर दी गई है।
उद्यान घोटाला मामले में सीबीआई ने तीन कर्मचारियों को उठाया है। सीबीआई ऑफिस वसंत विहार में कर्मचारियों से पूछताछ जारी है। पिछले साल अक्तूबर से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को मामले की जांच सौंपी गई थी। बताया जा रहा है कि मामले में आज शाम तक कर्मचारियों में से कुछ की गिरफ्तारी भी हो सकती है।
उद्यान विभाग में फालदार पौधों की खरीद में गड़बड़ी में हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने सीबीसीआईडी से इस जांच से संबंधित दस्तावेज हासिल कर लिए थे। इसमें पीई (प्राथमिक जांच) दर्ज कर सीबीआई ने जांच शुरू कर दी थी। गौरतलब है कि अल्मोड़ा निवासी दीपक करगेती, गोपाल उप्रेती व अन्य ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया था। याचिकाओं में कहा गया है कि उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला किया गया है। फलदार पौध की खरीद में गड़बड़ियां की गई है
विभाग ने एक ही दिन में वर्कऑर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू कश्मीर से पौधे लाना दिखाया है। जिसका भुगतान भी कर दिया गया है। यही नहीं जिस कंपनी से पौधे खरीदवाना दिखाया उसे लाइसेंस ही उसी दिन मिला था। जिस दिन खरीद हुई। इन याचिकाओं के आधार पर हाईकोर्ट ने इसकी जांच के आदेश दिए थे।
शासन के निर्देश पर सीबीसीआईडी को यह जांच सौंपी गई। लेकिन, याचिकाकर्ता इस जांच से संतुष्ट नहीं हुए। ऐसे में उन्होंने फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अक्तूबर में हाईकोर्ट ने इस जांच को सीबीआई के हवाले करने के आदेश दिए थे। इस मामले में उद्यान विभाग के डायरेक्टर को सस्पेंड भी किया जा चुका है।
मुख्य उद्यान अधिकारी के साथ मिलकर निदेशक ने एक फर्जी आवंटन जम्मू कश्मीर की नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया। बरकत एग्रो को इनवाइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया। यही नहीं बिना लेखाकार के हस्ताक्षर के ही करोड़ों के बिल ठिकाने लगा दिए गए।