Uttarakhand

हरक को 29 फरवरी,अनुकृति को 7 मार्च के लिए ईडी के समन!

देहरादून। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री डॉ हरक सिंह रावत पर जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है। ईडी ने उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को पूछताछ का समन भेजकर उन्हे 29 फरवरी को बुलाया है। ईडी की नजर हरक के करीबियों पर है और हाल ही मे उनके प्रतिष्ठानों पर छापे की कार्यवाही की थी।

एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक हरक सिंह रावत को पूछताछ के लिए देहरादून स्थित ईडी के दफ्तर में 29 फरवरी को सुबह साढ़े 10 बजे से लेकर 11 बजे के बीच बुलाया गया है। जांच एजेंसी उत्तराखंड से जुड़े वन घोटाला मामले में उनसे पूछताछ करेगी। जांच एजेंसी के सूत्र बताते हैं कि हरक सिंह रावत की बहु अनुकृति गोसाईं को भी पूछताछ के लिए समन भेजा गया है। उन्हें 7 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

जांच एजेंसी ईडी ने उत्तराखंड वन विभाग से जुड़े घोटाले में 7 फरवरी को तीन राज्यों में छापेमारी की थी। जांच एजेंसी ईडी ने हरक सिंह सहित कई अन्य आरोपियों के खिलाफ सात फरवरी को सुबह एक बड़ी सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई की थी। जिसमें दिल्ली, उत्तराखंड, चंडीगढ़, पंचकूला सहित कुल 16 लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई को अंजाम दिया था ।

साल 2019 में बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रहे त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार ने साल 2019 में पाखरो में टाइगर सफारी निर्माण के लिए केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी। साल 2019-20 में पाखरो में करीब 106 हेक्टेयर वन भूमि पर कार्य भी शुरू कर दिया गया था। इसी प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान करीब 163 पेड़ काटे जाने की बात कही गई। बाद में जांच के दौरान पता चला की उस दौरान उससे कहीं ज्यादा संख्या में पेड़ काटे गए। बाद में यह मामला नैनीताल हाईकोर्ट में गया और अक्टूबर 2021 में हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया। उसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने पिछले साल 2023 में इस मामले में एक एफआईआर दर्ज किया। जिसे बाद में केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने टेकओवर करके मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत इस मामले की तफ्तीश शुरू कर दी।

जांच में पता चला की 163 पेड़ों की कटाई की जगह पर करीब 6,903 पेड़ों को काटा गया। इसके बाद साल 2022 के अक्टूबर महीने ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण यानी एनजीटी ने इस मामले में स्वत: संज्ञान ले लिया। इस मामले की रिपोर्ट में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत की भूमिका के बारे में विस्तार से रिपोर्ट बनाई गई थी।

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