Poetry & Songs

थोड़ा तू भी रो ले आज

आयुष तिवारी –

(लेखक पिता को तर्पण)

उस कालकूट पिने वाले के नयन याद कर लाल लाल l
गरल उगलता हूं स्याही से देखो अब मैं बन कर व्याल l

Related Articles

धस जाए धारा वो कृष्ण विवर मे
कवि काला का जब ना हो मान l

हाय कंठ कतर के लिखता हूं मैं,
पाठक तू भी रो दे आज l

मौन था कितना शांत संत था,
बच्चो संग बच्चा बन जाता था,
गरज गरज जब लिखता था वो
डग डग ब्रम्हाण हिल जाता था

ग्रह, नक्षत्र, अंतरिक्ष
ये तारिक़एँ प्रज्वलित
कैसे पकड़ पकड़ ले आता था l

कहाँ कहाँ से कैसे कैसे
देखो क्या क्या लिख जाता था

होली की मस्ती में देखो जैसे उड़ता फुर्र फुर्र अबीर,
लेखन का ऐसा तेज देख होता था कितना लज्जित समीर

हैँ, अरे, ये माइकल जॉर्डन,
अरे भैया ने बतलाया था,
अरे अर्जेन्टना, ये हैंड ऑफ़ गॉड
रंजन भैया ने समझाया था.
दुष्यंत, निराला, दिनकर धूमिल
फिर चार्ली चपलिन ले आता था
हाय नन्ही तानू देख,
Cindrella स्वयं बन जाता था l

नहीं था गूगल कहाँ था ज़माना?
कैसे कहा से लाता था,
खूब सोचा आखिर पाया, खुदा स्वयं कुछ कह जाता था

छोड़ो ये सब ज्ञान की बातें
शतरंग जब बच्चो से खेले
तब जान बूच हार जाता था
मिले जब जब वो प्रेस वाला
सब बची कुची दे जाता था

गज मस्तक पर टाप धरे जो,
एक राणा प्रताप का घोड़ा था,
इस सादी मे लिए कलम वो
चेतक का असली जोड़ा था

काल सर्पिणी की जीभवा है
लप लप सब नागिन निगल गयी
आते देखा जाते देखा
पर पापा की बातें नहीं गयीं
आओ हम तुम सीखे उनसे
कितना तो अतिकाल हुआ
जी ले कुछ पल इस संत की भाति
बाकि पूरा सब अरमान हुआ.

आओ हम तुम सहज़ बने अब आओ सब एक लेख लिखें,

क्या है लेना क्या है देना
आओ उनके जैसा ऐसा प्रेम करें.

अनाथ कौन है यहाँ संत सरिता साथ है.
ऐसे संतो के देखो बड़े विशाल हाँथ हैँ.
अर्पित हुआ ये नश्वर शरीर, आत्मा से संग साथ हुआ.
आत्मसत हो इस सदात्मा मे,
तुम भी अब नाव जीवन पायो l

Show More

Related Articles

One Comment

  1. आप की सरलता,आप का प्यार ,आप को कभी भूलने नही देगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button