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मैं प्राण सनातन का हूं l
मैं रश्मिरथ का रथ हूं l
विश्व भुजंग के फण पर
मैं ही मैं भारत हूं l
हाँ कृष्ण की बंसी मैं हूं
व्यास का लेखन मैं हूं l
कलम लिए मैं अपनी
मैं जननी सेवा रत हूं l
गंगा की लहरों को मैं
आज टुक टुक देख रहा था l
पापा सा साथी गवां कर
मैं बिलकुल बिखर गया था l
वो लहरें मुझसे बोली
अगर थक गया अब है तू l
ला रक्षा का भार मुझे दे
अब मैं रण चंडी बन जाऊ l
ये स्याही कलम इधर दे l
“अब सावधान”, वो बोली
वो कसाई कटार ले कर
माँ की छाती फाड़ रहा हैं
तू इधर कवि सा बैठा
आंसू ढार रहा है?
हुआ सरस्वती पूजन,
अब लक्ष्मी पूजन होगा l
धन से सेना बनेगी
यश मान अनोखा होगा l
गूगल को हम अब समझे
रण का देव आज यही है
हम ट्रेंड पकड़ के लिख दें
हीरों का सेज लगा दें l
अब जंग आज नयी है
तो हो क्यों अस्त्र पुराने?
सुदर्शन डिजिटल बना कर
हम दानव रक्त बहा दें l
ये कविता- गीत नहीं है
ये देवदत्त सा शंख हैl
ये महाकाल का डमरू
ये लक्ष्मी का वैभव है l
परमाणु बम का क्या है
अब AI से लड़ना है
अरि कंठ कतर कर हमको
पशुबल के ऊपर उठना है l
ईर्षा, तो देवी है,
रिपु के हृदय में फफक पड़ेगी l
हम जैसे ऊपर उठेंगे
उन पर ये गरुड़ सी झपट पड़ेगी l
इसी लिए लड़ना है l
की मैं प्राण सनातन का हूं
मैं जननी सेवा रत हूं
मैं रश्मिरथ का रथ हूं
कुबेर संग ये सेल्फी,
मैं ही मैं भारत हूं l
आयुष तिवारी